संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने 1 दिसंबर 2025 को अपनी फ्लैगशिप रिपोर्ट ‘खाद्य एवं कृषि के लिए विश्व के भूमि और जल संसाधनों की स्थिति (SOLAW) 2025’ जारी की। इस तीसरे संस्करण का विषय "अधिक और बेहतर उत्पादन की क्षमता" है, जो भूमि, मिट्टी और जल संसाधनों की अप्रयुक्त क्षमता पर केंद्रित है। रिपोर्ट चेतावनी देती है कि 2050 तक 10 अरब आबादी को खिलाने के लिए संसाधनों का स्मार्ट प्रबंधन आवश्यक है।
मुख्य संदेश: संसाधन सीमित हैं – आज के फैसले भविष्य की खाद्य सुरक्षा तय करेंगे।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में वर्तमान चुनौतियाँ
- 2050 तक कृषि को 2012 की तुलना में 50% अधिक खाद्य, चारा और फाइबर उत्पादन करना होगा।
- वैश्विक भूमि का 10% से अधिक (1.6 अरब हेक्टेयर) क्षरणग्रस्त, जिसमें अधिकांश कृषि भूमि शामिल।
- 60% से अधिक मानव-जनित भूमि क्षरण कृषि भूमि पर – फसल और चारागाह दोनों प्रभावित।
- 1992-2015 के बीच शहरीकरण दोगुना: 33 मिलियन से 71 मिलियन हेक्टेयर, जिससे 24 मिलियन हेक्टेयर उपजाऊ भूमि नष्ट।
- 95% खाद्य भूमि-आधारित – क्षरण, जल कमी और चरम मौसम आजीविका व जैव विविधता को खतरे में डालते हैं।
1.6 अरब ha
क्षरणग्रस्त भूमि
50%
उत्पादन वृद्धि आवश्यक
60%+
कृषि भूमि क्षरण
$123 बिलियन
वार्षिक नुकसान
कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
- बढ़ते तापमान, वर्षा परिवर्तन, सूखा-बाढ़ से जोखिम बढ़े।
- चरम मौसम से कृषि को वार्षिक $123 बिलियन नुकसान – वैश्विक कृषि GDP का 5%।
- जलवायु संकट भूमि उपयुक्तता बदल रहा है।
कृषि पर पर्यावरण का प्रभाव
- पृथ्वी की 1/3 भूमि पर कृषि, 72% मीठा जल उपयोग – अत्यधिक दोहन।
- मृदा अपरदन, प्रदूषण, जैव विविधता हानि।
- 64% कृषि भूमि कीटनाशक प्रदूषित – प्रतिरोधक क्षमता कम।
कृषि उत्पादन के आँकड़े
- 1964-2023: उत्पादन वृद्धि मुख्यतः गहनता से, भूमि विस्तार से नहीं।
- सिंचित भूमि वर्षा-सिंचित से 3.2 गुना उत्पादक।
- उर्वरक उपयोग 1964 से 4 गुना+ वृद्धि।
- मध्य/उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी यूरोप में कृषि योग्य भूमि में कमी।
जल की कमी और भूमि क्षरण
- 996 मिलियन ha कृषि भूमि क्षरण – मानव-जनित का 60%।
- 1.2 अरब लोग गंभीर जल संकट क्षेत्रों में।
विस्तार में बाधाएँ और गहनता
- 2050 तक फसल भूमि 1.6 से 1.9 अरब ha, लेकिन प्राइम लैंड से कम।
- विस्तार से वन-आर्द्रभूमि खतरा – अफ्रीका/दक्षिण अमेरिका में अधिक संभावना।
- उपज अंतराल कम करें: उप-सहारा अफ्रीका में केवल 24% संभावित उपज।
- टिकाऊ गहनता: अनुकूलित किस्में, पोषक/जल प्रबंधन, कृषि-पारिस्थितिकी।
आगे की राह: टिकाऊ समाधान
- समग्र प्रबंधन: भूमि, मिट्टी, जल, वन, मात्स्यिकी का एकीकरण।
- टिकाऊ पद्धतियाँ: कृषि वानिकी, संरक्षण जुताई, जैविक पदार्थ, संयुक्त फसल-पशु, एकीकृत जलीय कृषि।
- आधुनिकीकरण: मछली-अनुकूल सिंचाई, बहुक्रिया तालाब, सटीक चराई, सूखा-सहिष्णु चारा।
- शहरी खेती: हाइड्रोपोनिक्स, वर्टिकल/छत कृषि।
- प्रौद्योगिकी: जलवायु पूर्वानुमान, रिमोट सेंसिंग, सूचना प्रौद्योगिकी।
- ILUP: खाद्य उत्पादन, संरक्षण और मांगों का संतुलन।
- सक्षमकर्ता: नीतियाँ, डेटा, नवाचार, वित्त, क्षमता विकास।
विशेष: विश्व 2085 तक 10.3 अरब लोगों को खिला सकता है – यदि टिकाऊ प्रबंधन अपनाए।
रिपोर्ट डाउनलोड करें
आधिकारिक FAO वेबसाइट: SOLAW 2025 पूर्ण रिपोर्ट
हिंदी अनुवाद के लिए FAO संसाधन देखें। जागरूकता फैलाएँ!
